Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल पर भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) का फोकस आज से नहीं बल्कि 35-40 सालों से है. अटल-आडवाणी के वक्त में ही बंगाल बीजेपी के लिए संभावना वाला राज्य बना था. 1998 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बंगाल की दमदम सीट से चुनाव जीतकर आए तपन सिकदर थे जो बाद में वाजपेयी सरकार में टेलीकॉम मंत्री भी बने. हालांकि बंगाल न तो लेफ्ट के रहते बीजेपी के काबू में आ पाया न ही ममता के समय में.
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प्रदेश में लेफ्ट, कांग्रेस और बीजेपी सबको पीछे छोड़ते हुए पिछले 10 सालों से ज्यादा समय से ममता बनर्जी एकछत्र राज कर रही हैं. बीजेपी हाल के चुनावों में धीरे-धीरे ममता के गढ़ में सेंधमारी कर रही है लेकिन जब तक सरकार नहीं बन जाती तब तक चैन नहीं आएगा. बंगाल को लेकर बीजेपी कितनी सीरियस है इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव की स्ट्रैटजी बनाने के लिए अमित शाह और जेपी नड्डा एक साथ बंगाल पहुंचे. वहीं अमित शाह ने बीजेपी के लिए टारगेट सेट कर दिया है लोकसभा की 35 सीटें जीतने का. बीजेपी औऱ ममता की लड़ाई अब यहां तक पहुंच गई है कि अमित शाह लेफ्ट की सरकार को ममता की सरकार से बेहतर बता गए.
बीजेपी चुनाव दर चुनाव अपने प्रदर्शन में कर रही सुधार
साल 2014 में देश में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी प्रदेश में मात्र 2 सीटें जीत पाई थी. लेकिन 2019 के बाद कहानी बदलने लगी है. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की 42 सीटों में से 18 सीटें जीत ली. तृणमूल कांग्रेस ने 2014 में जो 34 सीटें जीती थी वो घटकर 22 रह गईं. वोटों के मामले में भी बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस की लगभग बराबरी कर ली. बीजेपी को करीब 40 परसेंट और तृणमूल कांग्रेस को करीब 43 परसेंट वोट मिले.
2019 में बंगाल में 18 सीटें जीतने के बाद बीजेपी ने मान लिया था कि अब सोनार बंगला बनकर रहेगा लेकिन 2021 में ममता बनर्जी ने चौंकाने वाली वापसी करके बीजेपी को बहुत बड़ा झटका दिया. दरअसल विधानसभा चुनाव में 48 फीसदी वोट के साथ ममता की पार्टी ने 215 सीटें जीती. बीजेपी 77 पर ही सिमटी लेकिन उसकी पिछले चुनाव में मिली 3 सीटों से बढ़कर 77 सीटें हो गई. वोट शेयर के मामले में तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी से करीब 10 फीसदी की लीड ले ली थी.
बंगाल में बीजेपी की राह आसान नहीं
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का दबदबा पार्लियामेंट से लेकर पंचायत चुनावों तक है, लेकिन ये एक सच बात है कि लोकसभा से लेकर विधानसभा तक तृणमूल कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी की ग्रोथ ज्यादा है. यही वो बात है जो ममता बनर्जी को डरा रही है. माना ये जा रहा है कि यही डर ममता बनर्जी को कांग्रेस के करीब लाया है. हालांकि बंगाल में कांग्रेस ताकतवर नहीं है लेकिन ममता की मददगार जरूर हो सकती है.
कांग्रेस से मिलकर अपने को मजबूत करना चाहती हैं ममता
ममता को लगता है कि कांग्रेस के साथ रहने से बीजेपी से लड़ना थोड़ा आसान रहेगा. कांग्रेस को ममता से और ममता को कांग्रेस से दोनों को ही फायदा मिलने की उम्मीद है. वैसे बंगाल से कांग्रेस को आउट हुए करीब 40 साल हो चुके हैं और हाल के समय में वापसी की भी कोई ज्यादा उम्मीद नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी जिस भारत न्याय यात्रा पर 14 जनवरी से निकालेंगे वो बंगाल से भी गुजरेगी. इससे कोई करिश्मा हो या नहीं, लेकिन बरसों से सोया कांग्रेस कैडर जरूर जाग सकता है.
ABP C-Voter के ओपिनियन पोल में ममता आगे
बंगाल के ओपिनियन पोल का अनुमान ममता के लिए राहत भरा है वहीं बीजेपी के लिए संतोष की बात है. एबीपी न्यूज सी वोटर का अनुमान है कि तृणमूल कांग्रेस को प्रदेश की 42 सीटों में से 23-25 सीटें मिल सकती हैं जबकि बीजेपी को 16 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है. मतलब तृणमूल कांग्रेस-बीजेपी अपनी-अपनी जगह बरकरार रह सकती है. कांग्रेस और लेफ्ट के लिए 2024 में भी शायद ही कोई टर्निंग प्वाइंट साबित हो.
वैसे बीजेपी संतोष करने वाली पार्टी है नहीं. अमित शाह और जेपी नड्डा की नजर 35 सीटों पर ही रहेगी. पार्टी ने चुनाव के लिए 15 सदस्यों की टीम बनाई है जो चुनाव लड़ने, जीतने का सारा मैनेजमेंट देखेगी. खुद अमित शाह, जेपी नड्डा भी उस टीम में रहेंगे. सुनील बंसल, अमित मालवीय, शुभेंदु अधिकारी जैसे लोग कमेटी में शामिल किए गए लेकिन मोदी सरकार में शामिल बंगाल के चार मंत्रियों को टीम में जगह नहीं दि गई है.
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