क्या मुसलमानों के फेवरेट हो गए उद्धव ठाकरे? इस सर्वे ने दिए चौंकाने वाले आंकड़े
Uddhav Thackeray: क्या उद्धव ठाकरे मुसलमानों के फेवरेट हो गए हैं. क्या मुसलमान महाराष्ट्र के होने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे अधिक उद्धव ठाकरे को पसंद कर रहे हैं. जवाब है हां. CSDS-लोकनीति के एक सर्वे में जो आंकड़े सामने आए हैं, वह तो इसी बात की गवाही देते हुए दिख रहे हैं.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक से मुसलमान वोटर बड़ा फैक्टर हो गए हैं.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शिंदे की शिवसेना दोनों ही कर रही इस वर्ग पर फोकस.
Uddhav Thackeray: क्या उद्धव ठाकरे मुसलमानों के फेवरेट हो गए हैं. क्या मुसलमान महाराष्ट्र के होने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे अधिक उद्धव ठाकरे को पसंद कर रहे हैं. जवाब है हां. CSDS-लोकनीति के एक सर्वे में जो आंकड़े सामने आए हैं, वह तो इसी बात की गवाही देते हुए दिख रहे हैं.
महाराष्ट्र में शासन कर रहीं बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना दो ऐसी पार्टियां हैं जिनकी पॉलिटिक्स के सेंटर में रहा है हिंदू. मुसलमान न पसंद रहे, न वोट बैंक. माना गया कि लोकसभा में मुसलमानों के वोट भर-भरकर एमवीए को मिले जिसका नुकसान महायुति को हुआ. लोकसभा चुनाव में महायुति की करारी हार के बाद महाराष्ट्र की राजनीति पलटी है. जो न पसंद रहे, न वोट बैंक उनको लुभाने के लिए शिंदे सरकार ने बड़ा गेम प्लान बनाया है.
हो सकता है लोकसभा में मुसलमानों वाला इफेक्ट विधानसभा चुनाव में भी दिखे. एक ऐसा सर्वे आया है जिसमें उद्धव ठाकरे मुसलमानों के फेवरेट बनकर उभरे हैं. देश के बड़े चुनावों पर नजर रखने वाले CSDS-लोकनीति ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर सर्वे पेश किया है.
सर्वे 5 अक्तूबर से पहले यानी हरियाणा में कांग्रेस की हार का रिजल्ट आने से पहले किया गया. किसको कितनी सीटें मिलेंगी, ऐसा नंबर तो नहीं दिया लेकिन लीड किसको मिल रही है, इसका ट्रेंड इस तरह से निकाला गया कि किस समुदाय, किस जाति, किस इनकम ग्रुप से किसको वोट, कितना सपोर्ट मिल रहा है. सर्वे की बिग पिक्चर ये है कि मामूली अंतर से ही सही, एमवीए महायुति से आगे चल रहा है.
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मुसलमान वोटरों के मूड-मिजाज को लेकर CSDS-लोकनीति के सर्वे का निष्कर्ष चौंकाने वाला है. मुसलमान वोटरों में एमबीए की लीड 48 परसेंट निकलकर आई है. यानी मुसलमान वोटर एमवीए को जिता रहे हैं. सीएम की दावेदारी में उद्धव ठाकरे बड़े अंतर से एकनाथ शिंदे से आगे चल रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस के मुकाबले तो सीएम पद पर उद्धव ठाकरे की लीड लगभग डबल है. इसकी बड़ी बात ये है कि मुसलमान दिल खोलकर उद्धव ठाकरे का समर्थन कर रहे हैं. 52 परसेंट मुसलमानों की सीएम की पसंद उद्धव ठाकरे हैं.
मुकाबला उद्धव की शिवसेना का शिंदे की शिवसेना से
उद्धव ठाकरे के पास अब शिवसेना का नाम, निशान नहीं है. वो तो एकनाथ शिंदे के पास चला गया. उद्धव ठाकरे अब शिवसेना यूबीटी के सर्वेसर्वा हैं. उद्धव ठाकरे को बाला साहेब ठाकरे ने हिंदुत्व विचारधारा वाली पार्टी की विरासत सौंपी थी. मुसलमान बाला साहेब की भी पसंद या प्रॉयरोरिटी नहीं होते थे. पसंद तो कांग्रेस भी नहीं थी लेकिन उद्धव ठाकरे कांग्रेस से जा मिले.
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उद्धव के इस दांव से शिवसेना की राजनीति ने 360 डिग्री यूटर्न ले लिया. कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी सरकार बन गई. उद्धव ठाकरे सीएम बन गए. बीजेपी शिवसेना के रिश्ते खत्म हो गए. एकनाथ शिंदे, बीजेपी ने आज तक उद्धव ठाकरे के खिलाफ कैंपेन चलाया हुआ है कि सत्ता के लिए उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब की विचारधारा छोड़ दी. उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व वाली लाइन का त्याग तो नहीं किया लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं किया जिससे मुसलमानों के फेवरेट बनें. न इफ्तार की दावतें दीं, न टोपी पहनकर नमाज पढ़ने गए. फिर भी CSDS के सर्वे में मुसलमानों के लिए फेवरेट बनकर उभरे हैं उद्धव ठाकरे.
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महाराष्ट्र की राजनीति में मुसलमान कितने प्रभावशाली
अगर CSDS के सर्वे में उद्धव ठाकरे मुसलमानों की पसंद बन रहे हैं तो ये बहुत संभव है कि कांग्रेस के कारण ये फायदा मिल रहा हो. सीएम के टॉप 5 दावेदारों में कांग्रेस के किसी नेता का नाम नहीं है. एमवीए ने सीएम दावेदार फाइनल नहीं किया है. हो सकता है उद्धव ठाकरे को भावी सीएम और एमवीए का सीएम उम्मीदवार मानते हुए मुसलमान अपनाने के लिए तैयार हुए हों.
महाराष्ट्र में मुसलमानों की आबादी करीब 12 परसेंट मानी जाती है. उत्तरी कोंकण, मराठवाड़ा, मुंबई, पश्चिमी विदर्भ की करीब 45 सीटों पर मुसलमान वोटर असरदार माने जाते हैं. 38 सीटें तो ऐसी हैं जिसमें मुसलमानों की आबादी 20 परसेंट मानी जाती है. 2019 में 10 में से 9 मुसलमान उम्मीदवार मुसलमान बहुल सीटों से जीते थे.
मुसलमानों को रिझाने की कोशिश में शिंदे सरकार?
जुलाई में शिंदे सरकार ने सीएम तीर्थ यात्रा योजना शुरू की थी. महाराष्ट्र के अलग-अलग धर्मों के 66, महाराष्ट्र के बाहर 73 धार्मिक स्थलों को शामिल किया. मुसलमानों के एक भी पवित्र धार्मिक स्थल शामिल नहीं किया योजना में. सरकार 60 साल प्लस वाले वरिष्ठ नागरिकों को एक तीर्थ स्थल के दर्शन के लिए 30 हजार देती है. शर्त ये है कि सालाना पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम हो.
हल्ला मचना ही था. लोकसभा चुनाव के बाद बहाना भी मिला. तीर्थ दर्शन योजना में अब जोड़ा गया है दरगाहों को. मुंबई की हाजी अली दरगाह, कल्याण की हाजी मलंग दरगाह, भिवंडी की दीवानशाह दरगाह समेत लोकप्रिय दरगाहों को योजना में शामिल किया है. हल्ला अब भी मच रहा है कि मुसलमान वोटों के लिए सरकार ने तीर्थ यात्रा योजना में दरगाह जोड़े हैं. क्या पता. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे, शरद पवार के बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए महायुति ने मुसलमानों के लिए तीर्थ का जाल बिछाया हो.
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