दिहाड़ी मजदूर के बेटे के लिए IIT धनबाद में होगी एक्स्ट्रा सीट! UP के इस लड़के के लिए SC ने सुनाया ये बड़ा फैसला

सुमित पांडेय

ADVERTISEMENT

यूपी के अतुल कुमार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया बड़ा फैसला.
atul_kumar
social share
google news

न्यूज़ हाइलाइट्स

point

आईआईटी धनबाद में दाखिला लेने से चूक गए अतुल कुमार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

point

दिहाड़ी मजदूर का बेटा अतुल जिस दिन दाखिला लेने पहुंचा, उस दिन एडमिशन पोर्टल बंद हो गया

point

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अतुल को उसी बैच में IIT धनबाद में एडमिशन दिया जाए

Dhanbad IIT Case: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव के दिहाड़ी मजदूर का बेटा अतुल कुमार अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की सीट हासिल करने में कामयाब रहा, लेकिन फीस के 17,500 रुपये जमा न कर पाने की वजह से, आखिरी दिन उसका सपने टूट गया. 24 जून को एडमिशन की आखिरी तारीख थी, और अतुल ने गांववालों की मदद से कर्ज लेकर पैसे तो जुटा लिए, लेकिन फीस भरने के आखिरी पलों में तकनीकी कारणों से पोर्टल बंद हो गया.

अतुल तमाम कोशिशों के बावजूद फीस जमा नहीं कर पाया, जिससे उसका एडमिशन रुक गया. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अतुल के केस में ऐसा फैसला सुना दिया है, जो आने वाले वक्त में एक नजीर की तरह पेश होगा. इस मुश्किल हालात के बावजूद अतुल ने हार नहीं मानी. पहले झारखंड हाईकोर्ट, फिर मद्रास हाईकोर्ट, और आखिर में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने उसके पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि एक मेहनती छात्र को केवल पैसे की कमी की वजह से उसके भविष्य से वंचित नहीं किया जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम एक गरीब और प्रतिभाशाली युवक के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. उन्होंने यह भी जिक्र किया कि दलित समाज से आने वाले इस लड़के को न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ा. अतुल ने हर मुमकिन कोशिश की थी, लेकिन गरीबी की बेड़ियां उसे पीछे खींच रही थीं. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अनुच्छेद 142 के तहत कानून से ऊपर उठकर इंसानियत को तरजीह दी जानी चाहिए.

चीफ जस्टिस ने वकील लगाई झाड़

अदालत में IIT के वकील ने दलील दी कि अतुल को पहले से ही कई बार फीस जमा करने के लिए कहा गया था, यहां तक कि उसे वॉट्सऐप मैसेज और अन्य नोटिफिकेशंस भेजे गए थे. लेकिन चीफ जस्टिस ने वकील को याद दिलाया कि अतुल एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा है, जिसके लिए 17,500 रुपये इकट्ठा करना बहुत बड़ी बात थी. वकील ने यह भी कहा कि अन्य श्रेणियों के छात्रों के लिए भी यही नियम है. इस पर चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि अगर वे छात्र भी कोर्ट आएंगे, तो उन्हें भी राहत दी जाएगी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी छात्र सिर्फ इसलिए अपने सपनों से वंचित नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह फीस जमा नहीं कर पाया.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अतुल को उसी बैच में IIT धनबाद में एडमिशन दिया जाए, और उसके लिए एक अतिरिक्त सीट बनाई जाए ताकि किसी अन्य छात्र के हक पर असर न पड़े. कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा, जहां कानून के साथ-साथ मानवीयता को सर्वोपरि रखा गया.

अतुल के संघर्ष की कहानी गांव से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक

अतुल की यह संघर्षभरी कहानी उसके गांव से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की यात्रा का प्रमाण है. एक गरीब परिवार से आने वाला यह लड़का सिर्फ अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर यहां तक पहुंचा. अतुल के पिता फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं, और उसकी मां घास काटकर बच्चों की पढ़ाई में मदद करती हैं. अतुल के तीन और भाई भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं, और पूरे गांव ने मिलकर अतुल की फीस के लिए पैसे इकट्ठे किए थे. गांववालों और उसके शिक्षकों का कहना है कि अतुल बेहद मेहनती और होशियार छात्र है, जिसने हर चुनौती को पार किया है.

ADVERTISEMENT

इस पूरे मामले में अतुल का हौसला और उसकी जिद ने उसे वहां पहुंचाया, जहां वह न्याय के लिए लड़ाई लड़ता रहा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने न सिर्फ अतुल को राहत दी है, बल्कि उन तमाम छात्रों के लिए भी उम्मीद की किरण जगा दी है, जो आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों से पीछे हट जाते हैं. अदालत का यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है कि प्रतिभा और मेहनत को कभी आर्थिक तंगी के चलते दबाया नहीं जा सकता.

ADVERTISEMENT

खबर को विस्तार से देखने के लिए इस वीडियो पर क्लिक करें...

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के दिहाड़ी मजदूर के बेटे अतुल को IIT में मिलेगा एडमिशन, खुश होकर ये बोला

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT