राज्यपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप! पश्चिम बंगाल में चल रहे नए सियासी भूचाल की पूरी कहानी

रूपक प्रियदर्शी

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West Bengal: पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा के सांसद पोते प्रज्वल रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल के हंगामे के बीच एक और बड़ा कांड हुआ है. राज्यपाल पर लगा है महिला के यौन उत्पीड़न का आरोप. राज्यपाल के यौन उत्पीड़न का हल्ला वही पार्टी मचा रही है जिसकी सरकार है और सरकार की राज्यपाल से बनती नहीं है. 

आरोपों के घेरे में हैं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस. राजभवन में काम करने वाली एक अस्थायी महिला कर्मचारी ने छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया. पीड़ित महिला ने राजभवन परिसर में बनी पुलिस चौकी के प्रभारी से शिकायत की थी. चौकी प्रभारी ने हेयर स्ट्रीट थाने की रिपोर्ट की जिसके अंदर राजभवन आता है. राजभवन के शांति कक्ष में तैनात अस्थाई महिला स्टाफ ने नौकरी पक्की करने के बहाने छेड़छाड़ की शिकायत की.यहां से नया हंगामा शुरु हुआ.

राज्यपाल ने पुलिस पर लगाया बैन!

पुलिस के जांच शुरू करते ही राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पुलिस के राजभवन में घुसने पर रोक लगा दी. राजभवन के बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने चुनाव के दौरान राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए अनधिकृत, नाजायज, दिखावटी और प्रेरित ‘जांच’ की आड़ में राजभवन परिसर में पुलिस के प्रवेश पर बैन लगा दिया है. राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली ममता सरकार की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के भी राजभवन पर रोक लग गई है. कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर के राजभवन परिसर में भी जाने पर रोक है. उन्होंने मंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए अटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी है.

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एक नहीं दो-दो बार शोषण किया: ममता बनर्जी

बंगाल में राज्यपाल पर छेड़खानी के आरोपों से सनसनी मची हुई है. खुद ममता बनर्जी कह रही है कि एक बार नहीं दो बार यौन शोषण किया. राज्यपाल आनंद बोस से सीएम ममता बनर्जी की बनती नहीं. मोदी सरकार के वक्त में नियुक्त राज्यपाल सीवी आनंद बोस और सीएम ममता बनर्जी के बीच अधिकारों को लेकर वैसी ही तनातनी बनी रहती है जैसे जगदीप धनखड़ के समय होती थी. 

तृणमूल कांग्रेस ने पीएम मोदी को भी लपेट लिया. हंगामे के बीच मोदी चुनावी दौरे पर बंगाल में थे. तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राजभवन छेड़छाड़ मामले में और भी महिलाओं को इसी तरह परेशान किया गया. अगर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह सच में नारी का सम्मान में यकीन रखते हैं, तो उन्हें इन पीड़ितों के लिए इंसाफ सुनिश्चित करना चाहिए. 

राज्यपाल ने आरोपों को नकारा

राज्यपाल आनंद बोस ने आरोपों को गलत बताया है. राज्यपाल बोस ने आरोपों को इंजीनियर्ड नैरेटिव बताते हुए इसे तृणमूल कांग्रेस की तरफ मोड़ दिया है. कह रहे हैं बदनाम करने की कोशिश है. अगर कोई बदनाम करके कुछ चुनावी फायदा चाहता है तो ऊपर वाला उसका भला करे. लेकिन वो बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ लड़ाई नहीं रोक सकते. 

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महिला जिस शांति कक्ष में तैनात थी वो जनता की शिकायतें सुनने के लिए बनाया गया है. सीधे राज्यपाल तक पहुंचती है सरकार. राज्यपाल बनते ही आनंद बोस ने शांति कक्ष शुरू कराया था. तब पंचायत चुनावों में भीषण हिंसा हुई थी. शांति कक्ष को लेकर भी ममता और राज्यपाल के बीच अशांति बनी रहती है. 

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2022 में सीवी बोस को बनाया गया था राज्यपाल

सीवी आनंद बोस को राज्यपाल मोदी सरकार के समय बनाया गया. 1977 बैच के आईएएस अफसर आनंद बोस को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नवंबर 2022 में राज्यपाल नियुक्त किया था. जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने के बाद आनंद बोस को बंगाल का राज्यपाल बनाया गया. 

बंगाल में बीजेपी ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को चुनाव में मुद्दा बनाया हुआ है. आरोप लगे कि तृणमूल की शह पर संदेशखाली में बहुत सारी महिलाओं के साथ बर्बरता की गई. 

जमकर राजनीति के साथ जांच भी चल रही है. ऐसे समय राज्यपाल पर ही महिला के साथ अत्याचार के आरोप से बीजेपी फंस गई है. बिना जांच के नतीजे तक पहुंचे बीजेपी के लिए कोई स्टैंड लेना घातक हो सकता है. बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी कहना पड़ा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या आरोप सही हैं या किसी साजिश का हिस्सा हैं.

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