DK Suresh: निर्मला सीतारामन ने बीते 1 फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश किया. उम्मीदों से उलट बजट में न कुछ सस्ता हुआ , न महंगा. न टैक्स घटाया, न बढ़ाया. कांग्रेस नेता डीके सुरेश से जब पूछा गया कि, बजट पर आपका क्या रिएक्शन हैं, तो उन्होंने बयान दे दिया कि, दक्षिण भारत के राज्यों का पैसा उत्तर भारत जा रहा है. दरअसल डीके सुरेश ये कह रहे थे कि दक्षिण भारत के साथ अन्याय हो रहा है लेकिन बयान देते देते इतने क्रांतिकारी हुए कि, अलग दक्षिण देश की मांग कर डाली.
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क्या कहा डीके सुरेश के जिससे छिड़ गया घमासान
डीके सुरेश का दावा है दक्षिण से केंद्र सरकार को 4 लाख करोड़ मिलता है लेकिन राज्यों को शेयर देने में केंद्र सरकार कंजूसी करती है. जनवरी में सीएम सिद्धारमैया ने भी आरोप लगाया था कि कर्नाटक का टैक्स का हिस्सा हर साल घट रहा है. कर्नाटक के लोगों के टैक्स का पैसा उत्तरी राज्यों को दिया जा रहा है. कर्नाटक का टैक्स शेयर 15वें वित्त आयोग में 3.64 परसेंट कर दिया जबकि 14वें वित्त आयोग में 4.71 परसेंट होता था. इससे कर्नाटक को तीन साल में 26 हजार 140 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. यही बात कहते-कहते उन्होंने दक्षिण के लिए अलग देश की मांग कर दी.
फिर क्या अलग देश की थ्योरी कहां किसी को पचने नहीं वाली है. डीके सुरेश की पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद में खड़े होकर ऐसी फालतू बात करने के लिए अपने ही पार्टी के सांसद को डपट दिया. कहा कोई देश को तोड़ने की बात करेगा, तो हम इसे कभी सहन नहीं करेंगे, चाहे वह किसी भी पार्टी का क्यों न हो.
भारत जोड़ो के बीच भारत तोड़ने की बात
राहुल गांधी जब भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं तब डीके सुरेश ने भारत तोड़ो जैसी बात कर दी. मामला संभालने के लिए खरगे ने देश की एकता के लिए पार्टी लाइन से ऊपर उठकर स्टैंड लिया लेकिन सुरेश ने बीजेपी को बड़ा मौका थमा दिया है, जिसका भरपूर इस्तेमाल कांग्रेस पर चढ़ाई के लिए अब शुरू हो गया है. खरगे को तब बोलना पड़ा जब राज्यसभा में पीयूष गोयल ने कांग्रेस को बैकफुट पर डालने के लिए मुद्दा उठाया.
कौन हैं डीके सुरेश?
डीके सुरेश, कर्नाटक डिप्टी सीएम डीके शिव कुमार के सगे छोटे भाई हैं. सुरेश की राजनीतिक पारी शुरू हुए मुश्किल से 10 साल ही हुए हैं. वो पहली बार 2013 में एचडी कुमारस्वामी ने इस्तीफे के बाद बैंगलोर रूरल सीट पर हुए उपचुनाव में जीते थे. उसके बाद 2014 और 2019 में भी चुनाव जीतकर हैट्रिक बना चुके हैं. पैसे-कौड़ी के मामले में भी काफी अमीर हैं. 338 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं.
वैसे डीके सुरेश के खड़े किए गए बवाल की शिव कुमार ने न तो तारीफ की, न ही आलोचना. हालांकि उन्होंने ये अहम बात कह दी कि, उन्होंने दक्षिण का दर्द बताया है.
अब ये भी जान लीजिए आखिर क्या है दक्षिण के राज्यों का दर्द?
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि जीएसटी, कॉरपोरेट टैक्स, एक्साइज ड्यूटी जैसे टैक्स वसूलते हैं ढेर सारी इंडस्ट्री होने की वजह से भारी भरकम पैसा वो केंद्र सरकार को देते हैं. उनका कहना है कि उसके बदले में उनको उसका उचित शेयर नहीं मिलता. कई राज्य सालों से इस पर आपत्ति जताते रहे हैं. इसे गैर-बीजेपी राज्यों से भेदभाव भी बताते है.
बीजेपी ने तब भी सिद्धारमैया के दावे को झूठा कहा था. बीजेपी नेता और अश्वत नारायण ने डेटा दिया कि कर्नाटक को यूपीए सरकार से 245 परसेंट ज्यादा पैसा मोदी सरकार में मिला. 2014 से 2024 के बीच कर्नाटक को केंद्र सरकार से 2 लाख 82 हजार 791 करोड़ रुपये मिले. जबकि 2004-14 के बीच यूपीए सरकार में 60 हजार 779 करोड़ रुपये ही कर्नाटक को मिले थे.
कुल मिलाकर विवाद ये है कि, सभी राज्य अपनी कमाई से केंद्र सरकार को हिस्सा देते हैं लेकिन केंद्र सरकार से उनको बदले में कम रकम मिलती है. सुरेश ने जो कहा वो निजी हित का नहीं बल्कि दक्षिण भारत के राज्यों के हित का मामला है. बस बात वहां फंस गई जहां उन्होंने अलग देश की डिमांड कर दी.
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