Prashant Kishor: देश में लोकसभा चुनावों के लिए माहौल सेट हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बार अपने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की ताकत पर 400 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. विपक्ष ने कांग्रेस के नेतृत्व में INDIA अलायंस बना रखा है. हालांकि इस गठबंधन के एक अहम पार्टनर नीतीश कुमार पिछले दिनों बिहार में बीजेपी के साथ चले गए हैं. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी भी कांग्रेस और लेफ्ट दलों के साथ सीट शेयरिंग के लिए राजी नहीं दिख रहीं. बीजेपी ने एक तरफ राम मंदिर को लेकर अपना बाड़ा वादा भी पूरा किया है. चर्चा है कि इससे बीजेपी का हिंदू वोट बैंक और मजबूत होगा. तो क्या चुनाव से पहले ही बीजेपी ने पीएम मोदी के नेतृत्व में मैदान मार लिया है? विपक्ष का कोई स्कोप बचता है या नहीं? चुनावी रणनीतिकार के तौर पर मशहूर और बिहार जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर इस बात को अलग नजरिए से देखते हैं.
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पिछले दिनों इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा है कि पीएम मोदी अजेय नहीं हैं. साथ ही वह यह भी मानते हैं कि, 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद विपक्ष को उनके हराने के कई मौके मिले, लेकिन इसे भुनाया नहीं गया. उन्होंने 2015 के बिहार चुनाव में बीजेपी की हार, 2016 की नोटबंदी के बाद के मौके और 2018 में चुनावी राज्यों में बीजेपी की हार, इन तीन मौकों का जिक्र किया, जब विपक्ष सार्थक प्रयास करता तो बीजेपी को बैकफुट पर धकेल सकता था. हालांकि ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी को वापसी का मौका मिला.
विपक्ष के लिए प्रशांत किशोर की क्या है सलाह?
प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट कहा कि, बीजेपी की जीत के बीच यह मान लेना कि विपक्ष हमेशा संघर्ष करेगा, सही नही है. प्रशांत किशोर ने कहा कि भारत में विपक्ष को कमजोर नहीं आंका जा सकता. विपक्षी दल या इससे जुड़े गठबंधन कमजोर हो सकते हैं, लेकिन भारत में विपक्ष कमजोर नहीं. पीके के नाम से मशहूर चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि हिंदुत्व से जुड़े वोटों पर असर और पार्टी की संगठनात्मक ताकत के बावजूद भी बीजेपी के पास सिर्फ 38 फीसदी वोट शेयर है. उनके मुताबिक चुनौती यह है कि बाकी 62 फीसदी वोट शेयर कैसे हासिल हों. पीके ने बताया कि यहां संभावना इसलिए है क्योंकि बीजेपी इस बचे 62 फीसदी में जगह बनाती उनकी नजर में नहीं दिख रही. उनका कहना है कि राम मंदिर भी काफी चर्चित विषय है लेकिन इससे वोट में बढ़त नजर नहीं आ रहा. उनके मुताबिक अभी भी 62 फीसदी लोग हैं जो बीजेपी के नैरेटिव से सहमत नहीं हैं.
प्रशांत किशोर का कहना हैं कि, सारा विपक्ष एक कमरे में बैठ जाए और इसे ये 62 फीसदी वोट शेयर मिल जाएं, ऐसा होता नहीं है. पीके का आइडिया है कि इसके लिए विपक्ष को एक स्पष्ट स्ट्रैटिजी अपनानी होगी, जमीनी प्रयास करने होंगे और आपसी तालमेल से चलना होगा. इन सबके एकजुटता बनानी होगी. पीके का कहना है कि चलिए मान लीजिए कि बीजेपी अपने वोट शेयर में 2 फीसदी का इजाफा और कर इसे 40 फीसदी कर लेगी. इसके बाद भी 60 फीसदी वोट हैं.
उन्होंने एक फॉर्म्युला भी बताया. पीके ने कहा कि विपक्ष को उन वोटों पर फोकस करने की जरूरत है जो बीजेपी से सहमत नहीं हैं. विपक्ष को 60 फीसदी वोट में से 60 फीसदी वोट हासिल करने की रणनीति (60 का 60 फीसदी) अपनानी चाहिए. इससे 36-37 फीसदी वोट हो जाएंगे. ऐसे में विपक्ष रेस में आता दिखेगा और बीजेपी के 38 फीसदी वोटों में भी क्रैक आने की शुरुआत होगी.
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