उत्तराखंड सरकार अब UCC को लागू करने के बिल्कुल करीब, जानिए किसके लिए हो सकते हैं कैसे बदलाव

अभिषेक

• 06:57 AM • 02 Feb 2024

UCC के इस मसौदे में महिलाओं, बच्चों और आश्रितों पर ज्यादा फोकस नजर आता है. साथ ही इसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए भी कुछ प्रमुख प्रावधान आने की संभावना है.

newstak
follow google news

Uniform Civil Code: देश में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर चर्चा तेज है. भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्यों की सरकारों में इसे लेकर कवायद भी जारी है. आज भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में UCC को लेकर बनाई गई सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी है. अब माना ये जा रहा है कि प्रदेश सरकार 5 फरवरी को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में UCC के लिए बिल पेश कर कानून बना सकती है. अगर उत्तराखंड में ये कानून बनता है, तो गोवा के उत्तराखंड देश का दूसरा ऐसा राज्य होगा जहां UCC लागू होगा.

यह भी पढ़ें...

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में आए समान नागरिक संहिता(UCC) के मसौदे में कुछ इस प्रकार से प्रबंध होने की संभावना है-

1- UCC में एक से ज्यादा विवाह यानी बहुविवाह पर रोक का प्रावधान हो सकता है. इसका मतबल ये है कि इसके लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी.

2- लड़कियों की शादी करने की कानूनी उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल तय करने का प्रावधान हो सकता है. साथ ही यह पूरा मसौदा महिलाओं पर केंद्रित हो सकता है.

3- UCC के कानून में लिव-इन रिलेशनशिप यानी बिना शादी किए किसी लड़का-लड़की के एकसाथ रहने वालों को इस बात की अनिवार्य घोषणा करने का प्रावधान हो सकता है और उन्हें पुलिस में रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा. साथ ही ऐसे रिश्तों में रहने वाले व्यक्तियों को अपने माता-पिता को इसकी जानकारी देना होगा.

4- विवाह के बाद अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है. प्रत्येक विवाह का संबंधित गांव, कस्बे में पंजीकरण कराया जाएगा और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य माना जाएगा. वहीं विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है. वर्तमान में हम देखते है कि शादी कर ली जाती है और वह किसी सरकारी रिकार्ड में दर्ज नहीं होती है.

5- मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार हो सकता है और गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है. इससे पहले मुस्लिमों को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं था.

6- माता-पिता की विरासत में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर का अधिकार मिलने का प्रावधान हो सकता है.

7- मुस्लिम समुदाय के भीतर ‘इद्दत’ जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. इस्लाम कानून शरियत के मुताबिक, किसी मुस्लिम महिला के शौहर की मृत्यु के बाद कुछ वक्त के लिए दूसरी शादी करने पर पाबंदी होती है जिसे ‘इद्दत’ कहते है.

8- पति और पत्नी दोनों को तलाक को लेकर समान अधिकार होगा और उसकी प्रक्रियाओं तक समान पहुंच का प्रावधान हो सकता है.

9- नौकरी करने वाले बेटे की मृत्यु होने की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसकी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेने का प्रावधान हो सकता है. यदि पत्नी नई शादी करती है, तो उसको मिलने वाला मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा.

ऐसे ही यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा नहीं रहता है, तो उनकी भलाई की जिम्मेदारी पति पर होने का प्रावधान हो सकता है.

10- अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है. साथ ही पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है.

11- इस मसौदे में बच्चों की संख्या पर सीमा निर्धारित करने यानी एक निश्चित संख्या में बच्चा करने जैसे जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम पेश किए जा सकते हैं.

12- सबसे बड़ी बात ये है कि, इस UCC के मसौदे में आदिवासियों को UCC से छूट मिलने की संभावना है.

यानी कुल मिलाकर UCC के इस मसौदे में महिलाओं, बच्चों और आश्रितों पर ज्यादा फोकस नजर आता है. साथ ही इसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए भी कुछ प्रमुख प्रावधान आने की संभावना है. साथ ही आदिवासियों को लेकर जो आशंका व्यक्त की जा रही थी की किसी एक कानून के तहत सभी को संहितबद्ध किया जाएगा तो उनके अपने सामुदायिक रीति-रिवाजों और नियमों का क्या होगा, इसपर स्थिति थोड़ी साफ होने की संभावना है क्योंकि उनको इस कानून से छूट मिलने का प्रावधान होने की संभावना है.

हालांकि ये अभी शुरुआती जानकारी है जो सूत्रों के माध्यम से पता चली है. उत्तराखंड सरकार के असल मसौदे में क्या है ये तो विधानसभा में बिल पेश होने पर ही पता चलेगा.

    follow google newsfollow whatsapp