भारत के टॉप एग्जिट पोल निकले गलत पर ब्रिटेन के साबित हुए सटीक, क्यों हुआ ऐसा? इस बात को समझिए

अभिषेक

05 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 5 2024 8:30 PM)

UK Exit Poll: यूके में साल 2000 से एक ही पैटर्न पर एग्जिट पोल हो रहे हैं जो एग्जिट पोल डेविड फर्थ और जॉन कर्टिस के सांख्यिकीय दृष्टिकोण पर आधारित हैं. इसी प्रक्रिया से हुआ इस बार का भी एग्जिट पोल बिल्कुल सटीक साबित हुआ है.  

UK चुनाव में हार गए सुनक

UK चुनाव में हार गए सुनक

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UK Exit Poll: यूनाइटेड किंगडम (यूके) में चुनाव के नतीजे करीब-करीब सामने आ चुके हैं. पीएम ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. यूके की 650 सीटों में लेबर पार्टी अबतक 412 सीटें जीत चुकी है और 14 साल बाद सत्ता में वापसी के लिए तैयार है. कंजर्वेटिव को अबतक 121 सीटें मिली हैं. ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन वाले इस चुनाव में एक बात ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. यहां का एग्जिट पोल बिल्कुल सटीक साबित हुआ है.  पिछले दिनों हमने भारत के लोकसभा चुनावों में तकरीबन सभी टॉप एग्जिट पोल को गलत साबित होते हुए देखा. यहां तमाम एग्जिट पोल में सत्तारूढ़ बीजेपी-NDA को एकतरफा जीत का अनुमान लगाया गया था. हालांकि नतीजे उसके बिल्कुल उलट आए और बीजेपी को गठबंधन की बदौलत सरकार बनानी पड़ी. यूके में पिछले करीब 20 साल से एग्जिट पोल सही साबित हुए हैं. ऐसा क्या है यूके के एग्जिट पोल में जो ये अक्सर सही साबित होते हैं? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.  

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पहले जानिए यूके के इस बार के एग्जिट पोल 

यूके के चुनाव पर तीन मुख्य समाचार प्रसारकों बीबीसी, ITV और स्काइ टीवी न्यूज की तरफ से एक संयुक्त एग्जिट पोल जारी किया गया था. गुरुवार रात 10 बजे वोटिंग के समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल के अनुमान जारी किए गए. एग्जिट पोल में लेबर पार्टी को 410 सीटें और कंजर्वेटिव को 131 सीटें जीतने का अनुमान दिया गया. लिबरल डेमोक्रेट को 61 सीटें, रिफॉर्म यूके को 13, स्कॉटिश नेशनल पार्टी को 10, प्लेड सिमरू को चार और ग्रीन्स को दो सीटें मिलने का अनुमान था. एग्जिट पोल के इन अनुमानों में 20 सीटों का मार्जिन ऑफ एरर रखा गया. यहां यह जानना भी जरूरी है कि 2005 के बाद से प्रत्येक ब्रिटिश आम चुनाव में एक ही एग्जिट पोल होता आया है. यहां भारत जैसा नहीं है जहां सैकड़ों एजेंसियां एग्जिट पोल को अंजाम दे रही हैं, या एग्जिट पोल करने का दावा करती हैं. 

648 सीटों के नतीजे अबतक आए और यूके के एग्जिट पोल साबित हुए एक्युरेट 

650 सीटों वाले यूके संसदीय चुनाव में अबतक 648 सीटों के रिजल्ट आए हैं. लेबर पार्टी को 412 सीटें, कंजर्वेटिव को 121, लिबरल डेमोक्रेट को 71, स्कॉटिश नेशनल पार्टी को 9 और अन्य को 28 सीटें मिली है. अब तक के नतीजों से ये साफ है कि, एग्जिट पोल का लेबर पार्टी को 410 सीटें मिलने एक अनुमान एकदम सटीक साबित हुआ है. वैसे ये पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन में एग्जिट पोल के नतीजे सटीक साबित हो रहे हैं. पिछले 20 साल से यूके के एग्जिट पोल करीब सटीक साबित होते आ रहे हैं.  

ब्रिटेन में कैसे होता है एग्जिट पोल जिससे आते हैं सटीक आंकड़े? 

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके में साल 2000 से एक ही पैटर्न पर एग्जिट पोल हो रहे हैं. यहां एग्जिट पोल डेविड फर्थ और जॉन कर्टिस के सांख्यिकीय दृष्टिकोण पर आधारित हैं. यहां एग्जिट पोल करने का तरीका है कि जब मतदाता वोट करके बाहर निकलते हैं, तो फील्डवर्कर्स उन्हें करीब 20 सवालों वाली एक शीट देते हैं. देश भर में करीब 130 मतदान स्थलों पर 20 हजार से अधिक लोगों से यह शीट भरवाई जाती है. यानी यूके की कुल 650 संसदीय सीटों पर सर्वे नहीं किया जाता है. 

आपको बता दें कि, डेविड फर्थ एक ब्रिटिश प्रसिद्ध सांख्यिकीविद् हैं जो इंग्लैंड के वारविक विश्वविद्यालय में सांख्यिकी विभाग में एमेरिटस प्रोफेसर हैं. एग्जिट पोल कराने की ये प्रक्रिया उन्हीं के दिमाग की उपज है. 

फिक्स बूथ से होती है सैंपलिंग 

यूके के एग्जिट पोल की एक और खासियत है. यहां सैंपलिंग उन्हीं स्थानों से की जाती है जहां से पिछले चुनावों में की गई थी. ऐसा नहीं है कि किसी भी चुनावी क्षेत्र में जाकर कही से भी सैंपल इकट्ठा कर लिया जाए. इस प्रक्रिया की यही खास बात है की हर बार एक फिक्स बूथ से ही सैंपलिंग की जाती है. इसके पीछे की सोच यह है कि सैंपल के कुल योग पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय शोधकर्ता बूथ स्तर पर तुलना कर सकते हैं और समझ सकते हैं कि पिछले चुनाव से इस बार के चुनाव में वोट कैसे बदल गया है. इसी बदलाव को आधार बनाकर फिर सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करते हुए वे प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के लिए अपने अनुमान प्रोजेक्ट करते हैं. 

भारत या और कई देशों में ऐसी कोई फिक्स व्यवस्था नहीं है. सर्वे करने वाली एजेंसी या लोग किसी भी संसदीय क्षेत्र में से कही से भी आंकड़े इकट्ठा कर लेते हैं और उसी आधार पर अपने अनुमान जारी करते हैं.

दोनों देशों के एग्जिट पोल पर एक्सपर्ट की क्या है राय?

इस बात को समझने के लिए हमने CSSP- समाज और राजनीति के अध्ययन के लिए केंद्र के फेलो और प्रोफेसर संजय कुमार से बात की. CSSP के संजय कुमार ने बताया कि, भारत में एग्जिट पोल करने की प्रक्रिया साइंटिफिक नहीं है. यहां एग्जिट पोल की सैंपलिंग रैंडम होती है जो इसकी असफलता का प्रमुख कारण है. जबकि पश्चिम के देशों में ये प्रक्रिया साइंटिफिक और व्यवस्थित तरीके से होती है. जिससे उन्हें जनमत का ट्रेंड क्लियर पता चलता है और उनके अनुमान सटीक साबित होते है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, भारत में एग्जिट पोल कराने वाली एजेंसियां निष्पक्ष नहीं है. जैसे- लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने 400 पार का नारा दिया उसके 5 दिन के बाद एक एजेंसी ने अपना सर्वे जारी किया जिसमें बीजेपी को 409 सीटें दे दी गई. इसके साथ ही उन्होंने ये बात भी कही कि, भारत में एग्जिट पोल जारी करना एक मार्केट बन गया है जो एक लोकतान्त्रिक देश के लिए बहुत नुकसानदायक है. 
 

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