Haryana Elections: लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों में उपचुनाव भी शामिल हैं. सभी राजनीतिक विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों की इन चुनावों पर नजर टिकी हैं. चुनावों के मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. हरियाणा में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बीच बीजेपी ने एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले ऐलान किया है कि पार्टी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ेगी. ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी राज्य भाजपा अध्यक्ष भी हैं.
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आम चुनाव से पहले बीजेपी ने चौंकाया
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से करीब एक महीने पहले यानि की मार्च में एक बड़ा कदम उठाते हुए सबको चौंका दिया था. बीजेपी ने हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाकर आश्चर्यचकित कर दिया था. खट्टर 2014 से लगातार प्रदेश के सीएम थे. इसके बाद बीजेपी ने अपने प्रमुख सहयोगी दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) से भी नाता तोड़ लिया था.
नायब सिंह सैनी उस समय प्रदेश अध्यक्ष के अलावा कुरुक्षेत्र से सांसद भी थे. बीजेपी ने ये दांव खेलने का उद्देश्य ओबीसी और गैर-जाट वोटों को एकत्रित करने का था. बीजेपी को उम्मीद थी इस फैसले से वो 2019 की तरह हरियाणा सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब होगी, लेकिन हरियाणा में बीजेपी का इस चुनाव में आंकड़ा आधे का रह गया. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी 10 में से 5 ही सीटें अपने नाम कर सकी है. इतना ही नहीं बीजेपी का वोट शेयर भी 2019 में 58.21% से गिरकर 46.11% रह गया, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 2024 में 28.51% से बढ़कर 43.67% हो गया.
सीएम सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी बीजेपी
गृहमंत्री अमित शाह पिछले हफ्ते हरियाणा के पंचकुला पहुंचे थे. उन्होंने वहां एक कार्यकारिणी बैठक में हिस्सा लिया और इस बात का ऐलान किया कि पार्टी सीएम सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. उन्होंने विश्वास जताया कि वह लगातार तीसरी बार बहुमत के साथ सत्ता में लौटेगी. अमित शाह का ये ऐलान एक अलग महत्व रखता है क्योंकि ऐसा कम ही देखा जाता है कि बीजेपी पहले इस बात का ऐलान करे कि पार्टी किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और सीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा.
जातिगत समीकरण बदलेगा हरियाणा का खेल
हरियाणा में कई अलग राज्यों की तरह जातिगत समीकरण एक अलग रोल प्ले करता है, जो बताता है कि क्यों प्रमुख दावेदार चुनावों से पहले इसे संतुलित करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. हरियाणा में सबसे ज्यादा 30 फीसदी ओबीसी मतदाता है. इनके बाद जाटों की संख्या लगभग 25 फीसदी और अनुसूचित जाति SC लगभग 20 फीसदी हैं.
माना जाता है कि पूरे हरियाणा के जाट और दलितों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा का अच्छा खासा दबदबा है. पार्टी ने लोकसभा चुनावों में जाट बहुल क्षेत्रों में 3 सीटें जीतीं. रोहतक सीट से दीपेंद्र हुड्डा, सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी और हिसार से जय प्रकाश. कांग्रेस ने इनके अलावा सिरसा और अंबाला में भी जीत दर्ज की. ये दोनों में एससी आरक्षित सीटें हैं. भूपेंद्र हुड्डा एक जाट नेता हैं और उनके करीबी उदय भान दलित समुदाय से आते हैं.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले जेजेपी के साथ अपना गठबंधन खत्म किया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव में जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला अकेले विधानसभा चुनाव लड़ सकती है. बीजेपी ने सीएम सैनी पर भरोसा जताते हुए ये संकेत दिये हैं कि पार्टी ओबीसी वोट बैंक की बदौलत चुनाव लड़ने को तैयार है. हालांकि पार्टी अन्य जातिगत समीकरणों को भी साधने में जुट गई है.
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