संसद में पेश होने से पहले बजट ड्राफ्ट को दी जाती है डबल सिक्योरिटी, बजट लीक का जानिए इतिहास

शुभम गुप्ता

22 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 22 2024 8:05 PM)

स्वतंत्र भारत का पहला बजट (1947-1948) में केंद्रीय वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया था और ये लीक हो गया था.

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Budget 2024: संसद में सोमवार को बजट सत्र का आगाज हो गया है. केंद्र सरकार देश के सामने कल बजट पेश करेगी. नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी सरकार का ये पहला बजट है. बजट को लेकर देश के लोगों में काफी उत्सुक्ता है कि इस बार के बजट में क्या खास होने वाला है. बजट को लेकर न्यूज चैनल से लेकर सोशल मीडिया पर खूब खबरें चल रही हैं कि बजट कैसे तैयार किया जाता है और इसे कौन तय करता है कि बजट में क्या होगा. लेकिन बजट को लेकर ऐसी कई बातें और हैं जिसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होगी.  बता दें कि बजट का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद उसे काफी कड़ी सुरक्षा के घेरे में रखा जाता है. जिससे की वित्त मंत्रालय द्वारा उसके पेश होने से पहले लीक ना हो जाए. बहरहाल सरकार इसकी पुख्ता तैयारी करती है और उसकी सुरक्षा पर जोर देती है.

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लेकिन फिर भी अगर अंतरिम बजट की कॉपी लीक हो जाती है तो उसके क्या प्रभाव हो सकते हैं और इसके लीक होने पर किसे जिम्मेदार समझा जाता है. तो आइए जानते हैं कि बजट तैयार करने के बाद कैसे उसके दस्तावेज को कैसे सुरक्षित रखा जाता है.

बजट कॉपी को CISF-IB के निगरानी में रखा जाता है

वित्त मंत्री संसद में 15 दिन तक बजट पेश करता है. इस दौरान CISF और IB अधिकारी वित्त मंत्रालय की कड़ी सुरक्षा करने के लिए तैनात रहते हैं. CISF कर्मियों को वित्त मंत्री, वित्त सचिव और मंत्रालय के टॉप अधिकारियों के कार्यालयों के ठीक बाहर रखा जाता है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी इन अधिकारियों के कार्यालय में जा ना सके.  CISF अधिकारियों के साथ-साथ आईबी के अधिकारियों को भी अधिकारियों के कार्यालयों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. आईबी अधिकारी इस दौरान सादे कपड़ों में ड्यूटी पर तैनात रहते हैं और हर हलचल पर पैनी नजर बनाए रखते हैं.

बजट का जो ड्राफ्ट तैयार किया जाता है उसे काफी गुप्त रखा जाता है. वित्त मंत्री के अलावा कुछ गिने-चुने अधिकारियों को ही बजट की पूर्ण जानकारी होती है. वित्त मंत्रालय में आ रहे हर विजटर्स की जांच की जाती है और किसी को भी बिना अपॉइंटमेंट के मंत्रालय में एंट्री नहीं दी जाती है. बजट पेश होने से 15 दिन पहले विजटर्स की एंट्री भी बंद कर दी जाती है.

बजट पेश होने से दो हफ्ते पहले से ही अधिकारियों के कमरों की सुरक्षा सीआईसीएफ कर्मियों की निगरानी में रखा जाना शुरू कर दिया जाता है. IB ऑफिसर्स भी मंत्रालय के गलियारों में तैनात हो जाते हैं. बजट के पेश होने से एक हफ्ते पहले से वित्त मंत्रालय को नो गो जोन एरिया बना दिया जाता है. बजट के सब्जेक्ट के बारे में जॉइंट सेक्रेटरी लेवल से नीचे के अधिकारियों को नहीं पता होता है.

सबसे पहले किसे दी जाती है अंतरिम बजट की कॉपी?

बजट के डिजिटलीकरण के बाद से बजट की कॉपियां अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, कैबिनेट और संसद टेबल तक पहुंचाई जाती हैं. अब बात करते हैं कि अगर बजट पेश होने से पहले लीक हो जाता है तो क्या होता है. तो बता दें कि बजट लीक होने से देश के लिए काफी बड़ा नुकसान साबित हो सकता है. सरकार इस बात को काफी अच्छे से समझ सकती है. इसकी सुरक्षा के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश प्रदान करती है. वित्त मंत्रालाय के अधिकारी और वहां आने-जाने वाले विजिटर्स की कॉल रिकॉर्ड, विजिटर लॉग की जांच बहुत सावधानी से की जाती है.  

बजट की छपाई का अपना एक इतिहास 

अंतरिम बजट की छपाई भी एक ऐसी चीज है जिसे काफी गुप्त रखा जाता है और इस छपाई का भी अपना एक इतिहास है. बजट लीक के कारण कई बार वित्त मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है. बतां दे देश का सबसे पहला बजट लीक हो गया था. स्वतंत्र भारत का पहला बजट (1947-1948) में केंद्रीय वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया था. इसे पेश करने से ठीक पहले ब्रिटेन के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार को बजट में प्रस्तावित टैक्स में बदलाव के बारे में बता दिया था.

तत्कालीन वित्त मंत्री और पत्रकार के बीच हुई इस बातचीत के कारण बजट कटेंट संसद में बजट पेश होने से पहले दिखाया गया. इसके बाद भारी हंगामा हुआ और डाल्टन को इस्तीफा देना पड़ा. बजट लीक के बाद पूर्व प्लानिंग कमीशन के खिलाफ द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री मथाई को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. हालाँकि, यह एकमात्र मौका नहीं था जब बजट लीक हुआ था. 1950 में केंद्रीय बजट का एक हिस्सा लीक हो गया था. जांच के बाद यह सामने आया कि लीक बजट पत्रों की छपाई के दौरान हुआ था. यह प्रक्रिया उस समय राष्ट्रपति भवन में की जाती थी. 

लीक के बाद प्रिंटिंग स्थान को मिंटो रोड पर एक सरकारी प्रेस में शिफ्ट कर दिया गया. दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में सचिवालय भवन 1980 से बजट छपाई का परमानेंट स्थान रहा है. 

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